Shani Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, जीवन के संकटों से मिलेगी मुक्ति
अगर आप भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2024) के दिन पूजा के दौरान महादेव को समर्पित शिव रक्षा स्तोत्र (Shiv Raksha Stotram) का पाठ करें। मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से जातक को जीवन में संकटों से मुक्ति मिलेगी और भगवान शिव प्रसन्न होंगे।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Pradosh Vrat 2024: देवों के देव महदेव को त्रयोदशी तिथि समर्पित है। इस दिन प्रदोष व्रत करने का विधान है। यह व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। सावन का अंतिम प्रदोष व्रत 17 अगस्त (Sawan Pradosh Vrat 2024) को है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि प्रदोष व्रत कहलाता है। इस दिन पूजा संध्याकाल में की जाती है। अगर आप जीवन में संकटों का सामना कर रहे हैं, तो प्रदोष व्रत पर शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। इससे से सभी दुख और संकट दूर होंगे। आइए पढ़ते हैं शिव रक्षा स्तोत्र।
इस मुहूर्त में करें पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि 17 अगस्त को सुबह 08 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 18 अगस्त को सुबह 05 बजकर 50 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल सावन माह का प्रदोष व्रत 17 अगस्त को मनाया जाएगा।
यह भी पढ़ें: Shani Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर जरूर करें इन मंत्रों का जप, जीवन की समस्या का होगा अंत
शिव रक्षा स्तोत्र (Shiv Raksha Stotram Ka Path)
विनियोग-ॐ अस्य श्री शिवरक्षास्तोत्रमंत्रस्य याज्ञवल्क्यऋषिः,श्री सदाशिवो देवता, अनुष्टुपछन्दः श्री सदाशिवप्रीत्यर्थं शिव रक्षा स्तोत्रजपे विनियोगः।चरितम् देवदेवस्य महादेवस्य पावनम् ।अपारम् परमोदारम् चतुर्वर्गस्य साधनम् ।1।गौरी विनायाकोपेतम् पंचवक्त्रं त्रिनेत्रकम् ।
शिवम् ध्यात्वा दशभुजम् शिवरक्षां पठेन्नरः।2।गंगाधरः शिरः पातु भालमर्धेन्दु शेखरः।नयने मदनध्वंसी कर्णौ सर्पविभूषणः ।3।घ्राणं पातु पुरारातिर्मुखं पातु जगत्पतिः ।जिह्वां वागीश्वरः पातु कन्धरां शितिकन्धरः ।4।श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः ।भुजौ भूभार संहर्ता करौ पातु पिनाकधृक् ।5।हृदयं शङ्करः पातु जठरं गिरिजापतिः।
नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्रजिनाम्बरः ।6।सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागत वत्सलः।उरु महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः ।7।जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः ।चरणौ करुणासिन्धुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः ।8।एताम् शिवबलोपेताम् रक्षां यः सुकृती पठेत्।स भुक्त्वा सकलान् कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्।9।गृहभूत पिशाचाश्चाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।
दूराद् आशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्।10।अभयम् कर नामेदं कवचं पार्वतीपतेः ।भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम् ।11।इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽदिशत् ।प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यस्तथाऽलिखत् ।12।।इति श्री शिवरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
श्री शिव पञ्चकम् स्तोत्र
प्रालेयाचलमिन्दुकुन्दधवलं गोक्षीरफेनप्रभंभस्माभ्यङ्गमनङ्गदेहदहनज्वालावलीलोचनम् । विष्णुब्रह्ममरुद्गणार्चितपदं ऋग्वेदनादोदयंवन्देऽहं सकलं कलङ्करहितं स्थाणोर्मुखं पश्चिमम् ॥गौरं कुङ्कुमपङ्किलं सुतिलकं व्यापाण्डुकण्ठस्थलंभ्रूविक्षेपकटाक्षवीक्षणलसत्संसक्तकर्णोत्पलम् ।स्निग्धं बिम्बफलाधरं प्रहसितं नीलालकालङ्कृतंवन्दे याजुषवेदघोषजनकं वक्त्रं हरस्योत्तरम् ॥संवर्ताग्नितटित्प्रतप्तकनकप्रस्पर्द्धितेजोमयंगम्भीरध्वनि सामवेदजनकं ताम्राधरं सुन्दरम् । अर्धेन्दुद्युतिभालपिङ्गलजटाभारप्रबद्धोरगंवन्दे सिद्धसुरासुरेन्द्रनमितं पूर्वं मुखं शूलिनः ॥कालाभ्रभ्रमराञ्जनद्युतिनिभं व्यावृत्तपिङ्गेक्षणंकर्णोद्भासितभोगिमस्तकमणि प्रोत्फुल्लदंष्ट्राङ्कुरम् ।सर्पप्रोतकपालशुक्तिसकलव्याकीर्णसच्छेखरंवन्दे दक्षिणमीश्वरस्य वदनं चाथर्ववेदोदयम् ॥व्यक्ताव्यक्तनिरूपितं च परमं षट्त्रिंशतत्त्वाधिकंतस्मादुत्तरतत्वमक्षरमिति ध्येयं सदा योगिभिः । ओङ्कारदि समस्तमन्त्रजनकं सूक्ष्मातिसूक्ष्मंपरं वन्दे पञ्चममीश्वरस्य वदनं खव्यापितेजोमयम् ॥एतानि पञ्च वदनानि महेश्वरस्य ये कीर्तयन्ति पुरुषाः सततं प्रदोषे ।गच्छन्ति ते शिवपुरीं रुचिरैर्विमानैः क्रीडन्ति नन्दनवने सह लोकपालैः ॥॥ इति शिवपञ्चाननस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥यह भी पढ़ें: Shani Pradosh Vrat 2024: इस दिन मनाया जाएगा सावन का अंतिम प्रदोष व्रत, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजन विधिअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।